नीतीश को पटाने के लिए तेजस्वी ने चिराग से किया किनारा ! नई सरकार, नया गठबंधन, पुराना प्रयोग
स्थानीय निकाय कोटे के तहत होने वाले बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव को लेकर बिहार में नए समीकरण बनते और पुराने बिगड़ते नजर आ रहे हैं.
क्या वजह है कि इन सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा और जदयू के बीच तनातनी चरम पर है और उधर चिराग पासवान भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को आमादा हैं.
अभी कुछ ही दिन पहले तक चिराग पासवान और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार के बीच रिश्ते बेहद मधुर होते जा रहे थें. चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और आरजेडी के साथ होने की संभावना हकीकत में बदलने जा रही थी. अब अचानक से चिराग अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ने में जुट गए हैं और उधर एनडीए दो फांक होती हुई नजर आ रही है.
बीजेपी ने साफ कर दिया है कि 24 में से 13 सीटों पर उनके उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. बाकी की 13 सीटों पर जदयू, वीआईपी और हम पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हो सकते हैं.
कहीं ऐसा तो नहीं है कि बीजेपी जेडीयू से इसी चुनाव के बहाने किनारा करना चाहती है और जेडीयू भी बीजेपी से अलग होने का कोई बहान खोज रही है. आरजेडी ने भी चिराग पासवान से दूरी बनाकर नीतीश कुमार को संदेश दे दिया है. आज की तारीख में सीएम नीतीश कुमार और जेडीयू के लिए चिराग पासवान सबसे बड़े दुश्मन हैं और इस दुश्मन से आरजेडी ने भी किनारा कर लिया है.
पिछले कुछ समय से एनडीए के घटक दलों के बीच बयानबाजी तेज होती हुई दिखाई दे रही है. बीजेपी, जेडीयू, वीआईपी और हम जैसे चार दलों के सहयोग से चल रही बिहार की नीतीश कुमार की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. इस बयानबाजी का अब तक कोई अंत होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है.
उधर आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन की स्थिति यह है कि आरजेडी ने लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार फाइनल कर दिए हैं. वामदलों के लिए एक दो सीटें छोड़ी जा सकती है लेकिन कांग्रेस के लिए आरजेडी की तरफ से ना है. महागठबंधन में कांग्रेस की हालत कितनी खराब हो चुकी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में जिस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी, उस पर भी आरजेडी ने अपना उम्मीदवार फाइनल कर दिया है.
पिछले विधान परिषद के चुनाव में पश्चिमी चंपारण की सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश कुमार की जीत हुई थी. आरजेडी का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में इस सीट पर कांग्रेस की जीत मुश्किल ही नहीं नामुमकीन भी है. इस वजह से वह कांग्रेस के लिए सीट नहीं छोड़ने जा रही है.
कयासों का बाजार गर्म है. आरजेडी और जेडीयू के बीच नजदीकियां बढ़ने की खबर है. जेडीयू साथ आ गया तो आरजेडी को कांग्रेस की कोई जरुरत नहीं है. उधर बीजेपी का रुख बता रहा है कि वो बिहार में अब नीतीश कुमार से अपना पिंड हर हाल में छुड़ाना चाहती है. शायद उन्हें लगता है कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार तेजी से अलोकप्रिय होती जा रही है. अगर यही हाल रहा तो सरकार में साथ रहने के चक्कर में बीजेपी की लोकप्रियता में भी गिरावट आएगी और उन्हें इसका खामियाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
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