उपचुनाव में सारी चर्चा RJD बनाम CONGRESS की ही क्यों ? कोई सेटिंग है क्या…JDU कहां है !
राजनीति में जो दिखता है, वो होता नहीं है और जो होता है वो दिखता नहीं है. बिहार में दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. दोनों ही सीटों पर जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और लोजपा के उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन क्या वजह ै कि सारी चर्चा सिर्फ आरजेडी और कांग्रेस की ही हो रही है.
सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक माहौल ऐसा बन गया है मानो लड़ाई आरजेडी और कांग्रेस के बीच ही हो. जेडीयू की चर्चा भी नहीं की जा रही है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आरजेडी और कांग्रेस दिखावे के लिए आपस में इतनी लड़ाई कर रहे हैं और अंदरखाने दोनों मिल कर एनडीए को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
बात टिप्पणियों से बढ़ते हुए अब गाली गलौज तक पहुंच गई. लालू प्रसाद ने कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को भकचोन्हर कह दिया तो कांग्रेस ने इसे अपने दलित प्रभार का अपमान बता दिया. इस नुराकुश्ती में फिर से जेडीयू गायब हो गई है. बात फिर कांग्रेस और आरजेडी की होने लग रही है.
आरजेडी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर इतनी तीखी टिप्पणियां कर रहे हैं कि मीडिया के गलियारे में सिर्फ यही दोनों पार्टी के नेता छाए हुए हैं. कभी कांग्रेस कुछ बोलती है तो कभी आरजेडी. जेडीयू और चिराग के उम्मीदवारों को अता पता ही नहीं चल रहा है.
तारापुर की चर्चा शुरु हो रही है तो बस आरजेडी के अरुण साह और कांग्रेस के राजेश मिश्रा. कुशेश्वरस्थान की चर्चा हो तो आरजेडी के गणेश भगत और कांग्रेस के डॉ अतिरेक. कहीं यही माहौल बनाने के लिए ही तो आरजेडी और कांग्रेस सेटिंग के तहत यह चुनाव नहीं लड़ रहें.
एनडीए तो साफ तौर पर आरोप लगा रहा है कि कांग्रेस और आरजेडी अंदर से मिले हुए हैं और जेडीयू उम्मीदवारों को पराजित करने के लिए ये अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं. एनडीए का आरोप है कि कुशेश्वरस्थान में आरजेडी का उम्मीदवार जेडीयू का वोटकटवा है जबकि तारापुर में कांग्रेस का उम्मीदवार वोट कटवा है.
एनडीए के मुसहर वोटों में सेंध मारने के लिए आरजेडी ने कुशेश्वरस्थान में मुसहर प्रत्याशी दिया है जबकि एनडीए के ही ब्राह्मण वोट बैंक में आग लगाने के लिए कांग्रेस ने तारापुर से ब्राह्मण उम्मीदवार उतार दिया है.
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