सम्मानित शख्सीयत : मानवीय संवेदना और सेवा का दूसरा नाम सोनू पांडेय
हम में से अधिकांश लोग ऐसे होंगे जो नव वर्ष के दिन पिकनिक पार्टी कर सेलिब्रेट करते होंगे तो कई लोग ऐसे भी होंगे जो किसी हिल स्टेशन या टूरिस्ट प्लेस की ओर निकल जाते होंगे और खूब धूम धड़ाके के साथ न्यू ईयर मनाते होंगे पर आज हम आपको परिचित करवाते हैं एक ऐसे शख्स से जो असहायों और गरीबों की सेवा कर न्यू ईयर सेलिब्रेट करते हैं।
नाम है विवेक कुमार पांडेय उर्फ सोनू पांडेय… बिहार के रोहतास जिले के करगहर के मूल निवासी सोनू पांडेय इलाके के गरीबों के लिए मदद और उम्मीद की एक रौशनी की तरह हैं जो उनके लिए ठंड में कंबल और अलाव की व्यवस्था कर उन्हें सर्दी के सितम से बचाने की हरसंभव कोशिश करते हैं। संपूर्ण शाहाबाद प्रक्षेत्र जिसमें बिहार के रोहतास,कैमूर, भोजपुर और बक्सर जिले आते हैं, वहां समाजसेवी विवेक कुमार पांडेय उर्फ सोनू पांडेय के सेवा कार्यों की चर्चा होती है और लोग मुक्त कंठ से उनके प्रयासों की सराहना करते हैं।
समाजसेवी सोनू पांडेय पिछले 15-20 सालों से ऐसे सेवा कार्य करते आ रहे हैं। जिन बस्तियों में जाने से पहले नेता और अधिकारी नाक भौं सिकोड़ लेते हैं और नाक पर रुमाल रख लेते हैं, वहां सोनू पांडेय इस कंपकंपाती ठंड में पहुंच कर अलाव की व्यवस्था करते हैं और कंबल का वितरण करते हैं। बात गरीबों और दलितों की बस्तियों की हो या फिर सासाराम रेलवे स्टेशन, भभुआ रोड रेलवे स्टेशन, कुदरा रेलवे स्टेशन… ठंड से ठिठुर रहे लोगों के बीच सोनू पांडेय पहुंचते हैं और उन्हें कंबल की छांव देकर ठंड से राहत दिलाने की कोशिश करते हैं। सोनू पांडेय नर सेवा नारायण सेवा के सूत्रवाक्य में भरोसा करते हैं।
इलाके के लोग बताते हैं कि सोनू पांडेय अपनी निजी गाड़ी में कंबल और अलाव के लिए लकड़ियां लेकर चलते हैं। ठंड से कांपते लोगों के देखते ही सोनू पांडेय की गाड़ी रुक जाती है और वो गाड़ी से उतर कर अपना काम शुरु कर देते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि सोनू पांडेय ये सेवा कार्य बिना किसी स्वार्थ और राजनीतिक महत्वकांक्षा के करते हैं। सोनू अपने परोपकार का कहीं ढिंढोरा नहीं पीटते, उनका काम ही उनकी पहचान है। इलाके में जब भी कहीं गरीबों, असहायों और लाचारों को हर ओर से नाउम्मीदी नजर आती है तो मदद की आस लेकर सभी सोनू पांडेय के पास ही पहुंचते हैं और सोनू किसी को निराश नहीं करतें। सबकी हरसंभव मदद करते हैं।
रविदास जयंती हो, ताजिया का त्योहार हो…. सोनू पांडेय सदैव तत्पर होकर उत्साह के साथ सारे कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं और उनके सेवा भाव से प्रसन्न समाज उन्हें सम्मानित भी करता है। किसी की बेटी की शादी हो या पिता का श्राद्ध हो…. हर परिस्थिति में सोनू पांडेय सबके लिए उम्मीद की तरह नजर आते हैं और सोनू सबकी मदद करते हैं।
बीते समय में जब कोरोना की आपदा से पूरा देश त्राहिमाम कर रहा था। लॉकडाउन की वजह से लोग दाने दाने को तरस रहे थें, वैसे कठिन दौर में सोनू पांडेय ने लोगों की मदद की। मास्क का वितरण हो, सैनिटाइजर करवाना हो, फॉगिंग करवाना हो या किसी के घर में अनाज का प्रबंध कराना हो, सोनू बिना रुके, बिना थके सब कुछ करते रहें।