मंदिर मस्जिद ख़बरों के बीच महंगाई, रिकॉर्ड स्तर 15.08 प्रतिशत पर पहुँची ..

एक ओर जहां पूरा देश मंदिर मस्जिद करने में व्यस्त हैं, तो वहीं दूसरी ओर मंहगाई तेजी से अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। 24 साल बाद महंगाई के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। 1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई दर 15% के ऊपर पहुँची।

आजकल हर एक न्यूज़ चैनल पर मंदिर मस्जिद पर हो रहे विवाद को केवल दिखाया जा रहा है। लेकिन महंगाई दिन प्रतिदिन जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसको लेकर किसी को कोई चिंता ही नहीं है।

आम लोगों के ऊपर महंगाई की मार कम होने का नाम नहीं ले रही है. खुदरा महंगाई के 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच जाने के बाद अप्रैल 2022 में थोक महंगाई ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने थोक महंगाई की दर 15.08 फीसदी रही. साल भर पहले यानी अप्रैल 2021 में थोक महंगाई की दर 10.74 फीसदी थी।

भारत में महंगाई लगातार बढ़ते जा रही है. खुदरा महंगाई पहले से ही 8 साल के उच्च स्तर पर है. अब थोक महंगाई ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया है और छलांग लगाकर 15 फीसदी के पार निकल गई है. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है.

डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई. साल भर पहले थोक महंगाई की दर 10.74 फीसदी रही थी

एक महीने पहले यानी मार्च 2022 में इसकी दर 14.55 फीसदी रही थी. यह लगातार 13वां ऐसा महीना है, जब थोक महंगाई की दर 10 फीसदी से ज्यादा रही है. इस तरह भारत में एक बार फिर से उच्च महंगाई वाले पुराने दिन वापस लौट आए हैं.

बढ़ती महंगाई के साथ-साथ गेंहू का घटता स्टॉक भी चिंता बढ़ा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में गेंहू का स्टॉक 2022-23 में कम हो सकता है और 2016-17 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकता है। पिछले 13 सालों में यह अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकता है। सरकार की ओर से भी पिछले 15 सालों में गेंहू की खरीद सबसे कम की गई है।

इससे पहले सरकार ने पिछले सप्ताह खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा थी. बढ़ती महंगाई के चलते रिजर्व बैंक को इस महीने की शुरुआत में अचानक एमपीसी की बैठक कर रेपो दर बढ़ाना पड़ा था. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाते हुए स्वीकार किया था कि आने वाले महीनों में आम लोगों को महंगाई की ऊंची दर से निजात नहीं मिलने वाली है.

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