कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने BBC डॉक्यूमेंट्री पर आखिर क्यों रखी पार्टी से अलग राय.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने BBC डॉक्यूमेंट्री पर आखिर क्यों रखी पार्टी से अलग राय.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर देश में विवाद छिड़ा हुआ है. डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र के प्रतिबंध को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हल्ला बोला है. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने अपनी राय रखी है, जो पार्टी लाइन से अलग है.

थरूर ने कहा गुजरात दंगों के घाव अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन इस पर बहस करने से कोई फायदा नहीं होगा. गौरतलब है कि थरूर की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस और उससे जुड़े संगठन प्रतिबंध के बावजूद अलग-अलग जगहों पर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर रहे हैं.

दरअसल इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा था कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर विवाद अनावश्यक है. जो चीजें पुराने समय में हो चुकी हैं. उन पर अब बात करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, इस घटना को 21 साल बीत चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पीएम को क्लीन चिट दे चुका है.

तो वहीं थरूर की टिप्पणी को लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई. एक यूजर ने लिखा कि थरूर अब लोगों से गुजरात दंगों से आगे बढ़ने के लिए कह रहे हैं. यूजर ने आगे लिखा कि थरूर को अपने लंबे अनुभव से इस बात का पता होना चाहिए कि देश और लोगों की यादें लंबी होती हैं.

अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा “मैंने वो नहीं कहा. मैंने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि मेरा मानना ​​है कि गुजरात के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला सुना चुका है, हमें इस मुद्दे पर बहस करने से कोई फायदा नहीं होगा.

इसी टिप्पणी पर जवाब देते हुए आगे उन्होंने ‘सेक्युलर कैंप’ को निशाने पर ले लिया. उन्होंने लिखा, मैं स्वीकार करता हूं कि अन्य लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं, लेकिन सांप्रदायिक मुद्दों पर मेरे चार दशक के रिकॉर्ड और गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए खड़े होने के दो दशक के रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़ कर पेश करना बेहद निंदनीय है.

“सेक्युलर कैंप” के लोगों को अपनों के प्रति ईर्ष्या रखने से बहुत कम फायदा होगा. हालांकि शशि थरूर ने जिस तरह से सेक्युलर कैंप लिखकर निशाना साधा है, ये बात बहुत कुछ साफ करती है, कि आरोपों से वह किस तरह से खफा है. सेक्युलर कैंप या सेक्युलर लॉबी शब्द का इस्तेमाल अब तक बीजेपी खेमे की तरफ से होता रहा है.

लेकिन थरूर ने जिस तरह से इस शब्द का इस्तेमाल किया है, उससे यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या ये नाराजगी उन्हें अनिल एंटनी की राह पर तो नहीं ले जा रही है.

तो ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या किया था आखिर अनिल एंटनी ने?
कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री मामले पर अपनी राय रखने को लेकर हो रही आलोचनाओं के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अनिल एंटनी ने गुजरात दंगों में पीएम मोदी की भूमिका को दिखाने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की आलोचना की थी.

उन्होंने लिखा था कि जो लोग ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ के विचारों से सहमत हैं, वो भारत के लिए खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं. आलोचना के बाद उन पर ट्वीट हटाने का दबाव पड़ा जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देते हुए गंभीर आरोप लगाए.

अनिल एंटनी ने कहा कि मुझ पर पोस्ट हटाने के लिए दबाव बनाया गया. रात में धमकी भरे फोन आए, मैसेज भेजे गए. मुझे लगता है कि अब कांग्रेस में मेरे लिए कुछ नहीं है.

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