जयप्रकाश नारायण की जयंती पर बिहार में शुरू हुआ सियासी घमासान…..
संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आज यानी 11 अक्टूबर को जयंती है. जयप्रकाश नारायण की जयंती पर गृह मंत्री अमित शाह आज उनके गांव सिताब दियारा जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नगालैंड के दीमापुर में उन्हें श्रद्धांजलि देंगे…..
हालांकि वहीं दूसरी तरफ जेपी की जयंती पर बिहार में सियासी संग्राम भी छिड़ गया है.अमित शाह के दौरे को लेकर जेडीयू आक्रामक हो गई है तो वहीं बीजेपी ने भ्रष्टाचार के मसले पर नीतीश कुमार को घेरा है. अमित शाह जेपी के गांव पहुंचकर उनकी प्रतिमा का अनावरण करेंगे. जेपी की इस प्रतिमा का अनावरण केंद्र सरकार ने 4.72 करोड़ रुपये की लागत से कराया है. गृह मंत्री अमित शाह जेपी की जयंती पर जहां उनके गांव पहुंच रहे हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नगालैंड के दीमापुर जा रहे हैं……
आपको बता दें नीतीश कुमार दीमापुर में जेपी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इसे लेकर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया है. बीजेपी ने बिहार के सीएम पर तीखा हमला किया है जिसे लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा कि नीतीश कुमार जेपी से इतने डरे हुए थे कि उन्होंने नगालैंड भागने का फैसला किया………
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन करने के लिए नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार से समझौता किया है और लालू प्रसाद के साथ सरकार बनाई जो भ्रष्टाचार के चार मामलों में सजा काट रहे हैं.
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सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को ये नैतिक अधिकार नहीं है कि वे जेपी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दें. उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस के खिलाफ जेपी ने जीवन भर संघर्ष किया, नीतीश ने उसके साथ भी गठबंधन किया है. सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के लोग नीतीश कुमार को इसके लिए कभी माफ नहीं करेंगे.
वहीं, जेपी की जयंती के मौके पर अमित शाह के बिहार दौरे को लेकर जनता दल यूनाइटेड ने भी मोर्चा खोल दिया है. जेडीयू की संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इसे लेकर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि बिहार में बीजेपी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है और इसी वजह से अमित शाह लगातार बिहार आ रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया कि अमित शाह के बिहार दौरे से भी बीजेपी जमीन पर मजबूत नहीं होगी.
चलिए अब एक नजर डालते हैं जयप्रकाश नारायण की राजनीतिक जीवन पर……….
आजादी के आंदोलन से हमें ऐसे बहुत से नेता मिले जिनके प्रयासों के कारण ही यह देश आज तक टिका हुआ है और उसकी समस्त उपलब्धियां उन्हीं नेताओं की दूरदृष्टि और त्याग का नतीजा है। ऐसे ही नेताओं में जीवनभर संघर्ष करने वाले और इसी संघर्ष की आग में तपकर कुंदन की तरह दमकते हुए समाज के सामने आदर्श बन जाने वाले प्रेरणास्रोत थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण,
11 अक्टूबर, 1902 को जन्मे जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे, वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है. 1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था. पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है, दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ भी उनके नाम पर है…
लोकनायक जयप्रकाशजी की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही, उसमें अनेक पड़ाव आए, उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी, नए मानक गढ़े, जैसे – भौतिकवाद से अध्यात्म, राजनीति से सामाजिक कार्य तथा जबरन सामाजिक सुधार से व्यक्तिगत दिमागों में परिवर्तन. वे विदेशी सत्ता से देशी सत्ता, देशी सत्ता से व्यवस्था, व्यवस्था से व्यक्ति में परिवर्तन और व्यक्ति में परिवर्तन से नैतिकता के पक्षधर थे..
वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयत्न भी किए.. उनका संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधानों के लिए प्रकट हुआ, एक अवतार की तरह, एक मसीहा की तरह। वे भारतीय राजनीति में सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा के कमल कहलाने में विश्वास रखते थे…….
उनका सबसे बड़ा आदर्श था जिसने भारतीय जनजीवन को गहराई से प्रेरित किया, वह था कि उनमें सत्ता का मोह नहीं था, वे खुद को सत्ता से दूर रखकर देशहित में सहमति की तलाश करते रहे और यही एक देशभक्त की त्रासदी भी रही थी. वे कुशल राजनीतिज्ञ भले ही न हो किन्तु राजनीति की उन्नत दिशाओं के प्रेरणास्रोत थे. वे देश की राजनीति की भावी दिशाओं को बड़ी गहराई से महसूस करते थे. यही कारण है कि राजनीति में शुचिता एवं पवित्रता की निरंतर वकालत करते रहे….
महात्मा गांधी जयप्रकाश की साहस और देशभक्ति के प्रशंसक थे। उनका हजारीबाग जेल से भागना काफी चर्चित रहा और इसके कारण से वे असंख्य युवकों के सम्राट बन चुके थे। वे अत्यंत भावुक थे लेकिन महान क्रांतिकारी भी थे। वे संयम, अनुशासन और मर्यादा के पक्षधर थे। इसलिए कभी भी मर्यादा की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोड़ा और आर्थिक तंगी ने भी उनका मनोबल नहीं तोड़ा….
जयप्रकाश नारायण को 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए उन्होंने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आंदोलन चलाया. लोकनायक ने कहा कि संपूर्ण क्रांति में सात क्रांतियां शामिल हैं- राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति.. इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रांति होती है….
संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था. जयप्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी. जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे….
देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक तमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जेपी यानी जयप्रकाश नारायण का नाम देश के ऐसे शख्स के रूप में उभरता है जिन्होंने अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की थी…….
भले ही उनके नारे पर राजनीति करने वाले उनके सिद्धान्तों को भूल रहे हों, क्योंकि उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा एवं आन्दोलन जिन उद्देश्यों एवं बुराइयों को समाप्त करने के लिये किया था, वे सारी बुराइयां इन राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं में व्याप्त है.. संपूर्ण क्रान्ति के आह्वान में उन्होंने कहा था कि ‘भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं. वे तभी पूरी हो सकती हैं जब संपूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है…………