रवीश कुमार ने कहा NDTV से इस्तीफ़ा देना सही फ़ैसला है और उन्हें कोई अफ़सोस नहीं.

रवीश कुमार ने कहा NDTV से इस्तीफ़ा देना सही फ़ैसला है और उन्हें कोई अफ़सोस नहीं. जाने-माने पत्रकार और एनडीटीवी के पूर्व एंकर रवीश कुमार ने कहा है कि एनडीटीवी से इस्तीफ़ा देना सही समय पर लिया गया सही फ़ैसला है और उन्हें इस बात का कोई अफ़सोस नहीं हैं….

एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में रवीश कुमार ने अडानी-अंबानी, रॉय दंपति और मोदी सरकार से लेकर राजनीति में आने की संभावनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बात की, तो चलिए जानते हैं, कि उनसे पूछे गए प्रश्नों का उन्होंने क्या और किस प्रकार जवाब दिया……….

सबसे पहले तो आपको बता दें कि रवीश कुमार ने कहा कि एनडीटीवी का ख़रीदा जाना एक सामान्य व्यापारिक फ़ैसला नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि उनको निशाना बनाने के लिए एनडीटीवी को ख़रीदा गया है….

उनसे जब सवाल किया गया कि क्या रवीश ख़ुद को एनडीटीवी से बड़ा ब्रैंड समझते हैं?
इस पर रवीश कुमार का कहना था, करण थापर ने जब मुझसे पूछा तो मैं रौ में बोल गया कि हां मुझे निशाना बनाने के लिए किया गया. बात मैंने ग़लत नहीं की लेकिन यह अहंकार की बात नहीं है. एक इंटरव्यू में अगर मैं ग़ुस्से में बोल रहा हूं तो आप उससे तय नहीं कर सकते कि यह अहंकार की बात है, मैं क्या समझ रहा हूं वो महत्वपूर्ण नहीं है……

 

वो आगे कहते हैं, जो भी महत्वपूर्ण कारण होंगे उस कंपनी को ख़रीदने के लेकिन अभी तक ऐसा कोई तथ्य तो नहीं आया है, कि डॉक्टर रॉय बाज़ार में ख़ुद गए थे यह कहते हुए कि मैं अपनी कंपनी को बेच रहा हूं. डॉक्टर रॉय अपनी कहानी बताएंगे मैं अपनी कहानी बताऊंगा…..

उन्हें किस तरह से ईडी में बैठाया गया, किस तरह से केस बनाया गया, लेकिन 10 साल में कुछ भी नहीं निकला. फिर वह आदमी चैनल ख़रीदने आता है, जिसे मीडिया के मुताबिक़ सरकार के बहुत क़रीब समझा जाता है. वो तस्वीर भी है हवाई जहाज़ की जिसमें अडानी और प्रधानमंत्री बनने वाले मोदी बैठे हैं और इस तरह की धारणा बनाने के लिए वो तस्वीर काफ़ी है……

अगला सवाल था कि रवीश ने आख़िर इस्तीफ़ा क्यों दिया?
इसके जवाब में रवीश कुमार ने 25 नवंबर को गौतम अडानी के फ़ाइनैंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू का ज़िक्र किया. उस इंटरव्यू में अडानी ने कहा था कि सरकार की आलोचना कर सकते हैं लेकिन सरकार अगर अच्छा काम कर रही है तो आपको उसकी तारीफ़ करने का गट्स भी होना चाहिए……

रवीश कहते हैं, “मैंने यह सोचा कि यह मेरे लिए एक एडिटोरियल निर्देश है. जिन्हें नहीं लगा वो आज वहां काम कर रहे हैं मुझे लगा कि यह मेरी तरफ़ भी इशारा है. वो आगे कहते हैं, बीच में लगता था कि यह देश कभी इतना कमज़ोर नहीं होगा इसके उद्योगपति इतने बुज़दिल नहीं होंगे, कि एक पत्रकार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा. लेकिन उद्योगपति ही डरपोक निकल गए. मेरे दरवाज़े बंद हैं अगर यूट्यूब जैसा कोई माध्यम नहीं होता तो मैं इस प्रोफ़ेशन से 10 रुपए भी नहीं कमा सकता था…….

रवीश कुमार से जब पूछा गया कि टेकओवर के बाद क्यों लगा कि काम की आज़ादी नहीं मिलेगी?
तो उन्होंने बताया बात सिर्फ़ आज़ादी की नहीं थी. जो आदमी आ रहा है उसकी पहचान क्या है, बाज़ार में उसकी साख क्या है, आप कुछ भी हो सकतें हैं लेकिन प्रणय रॉय तो नहीं हो सकते हैं……

जिन्होंने टेलीविज़न इंडस्ट्री इस देश को दिया . जो लोग प्रणय रॉय की जगह उस कंपनी में ले रहे हैं, वो लोग कौन हैं क्या मैं उनसे पत्रकारिता का लेक्चर सुनने जाऊंगा. उनके अनुसार इस्तीफ़े का कोई तय कारण नहीं होता है, अलग-अलग इस्तीफ़ों की अपनी नैतिक परिस्थितियां होती हैं……

रवीश पर आरोप लगता है कि वो हमेशा मोदी सरकारी की आलोचना करते हैं और ऐसा करके वो संतुलित पत्रकारिता की बेसिक सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं?
इसका जवाब देते हुए रवीश कहते हैं, मेरी सारी आलोचनाएं संतुलित हैं. केंद्र सरकार तो एक ही है, क्या उसको बैलेंस करने के लिए मैं भारत के 28 राज्यों में जाकर रिपोर्ट करता. यह तो ज़्यादती है. एक पत्रकार से आप उम्मीद करते हैं कि हर ख़बर वही करे ताकि वो ख़ुद को संतुलित साबित कर सके……..

वो अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, जिस तरह से मीडिया, गोदी मीडिया में बदला है, टीवी पर रहते हुए अगर मैं नहीं कहता तो कौन कहता? क्या बैलेंस करने के लिए मैं चुप रह जाता इतने बड़े समय में. उन्होंने आगे कहा, मैं देख रहा था कि टीवी के ज़रिए इस देश के लोकतंत्र की हत्या हो रही है. तभी मैंने कहा कि आप इस टीवी को कैसे देख सकते हैं…….

क्या रवीश राजनीति में आएंगे?
इसके जवाब में रवीश ने कहा कि उनके कई दोस्त और शुभचिंतक कहते रहते हैं कि उन्हें राजनीति में आना चाहिए, लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी ने उन्हें कोई न्योता नहीं दिया है…….

लेकिन उन्होंने इतना ज़रूर कहा, कल्पना कीजिए कि अगर मैं लोकसभा में हूं, उनके सामने हूं. लोकसभा को तो कोई ख़रीद नहीं सकता है.
मगर फिर रवीश ने कहा, हालांकि काम वही करना चाहिए जो आपके सपने में आए मुझे अभी भी सपने में टीवी आता है. जिस दिन यह सपना बदल जाएगा, उस दिन मैं बदल जाऊंगा…….

रवीश कुमार का अगला क़दम क्या होगा?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आए हैं और लोगों के समर्थन के कारण ही उनका यूट्यूब चैनल इतनी जल्दी इतना लोकप्रिय हो गया है. उन्होंने कहा, जो लोग लोकतंत्र को मुर्दा बनाना चाहते हैं, मैं उनको बताना चाहता हूं कि अभी वो ज़िंदा है……..

उन्होंने कहा कि फ़िलहाल वो यू-ट्यूब ही चलाते रहेंगे और उन्होंने एक भोजपुरी यू-टयूब चैनल भी शुरू किया है. इसका भी ज़िक्र किया और कहा कि उनकी मातृभाषा भोजपुरी है हिंदी नहीं. रवीश कुमार के अनुसार उन्होंने मराठी समाज से अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करना सीखा है……

यह भी पढ़ें:- सलमान खुर्शीद ने राहुल गांधी को बताया भगवान राम तो वहीं कांग्रेसियों को कहा भरत….

Leave a Reply