कोयले कि कमी के कारण बढ़ती बिजली के संकट ने कई राज्यों कि बढ़ा दी है, मुश्किलें।

कोयले कि कमी के कारण बढ़ती बिजली के संकट ने कई राज्यों कि बढा दिन है मुश्किलें, जिसके वजह से लोगो कि परेशानी तो बढ़ी ही , साथ ही साथ मेट्रो सर्विस पर भी आया संकट,वहीं अस्पतालों में भी स्‍थिति काफी गंभीर होते जा रही है।

जानिए किस राज्य में क्‍या हैं, स्थिति।

भीषण गर्मी और कोयले की बढ़ती कमी के कारण देश के कई राज्य बिजली संकट से गुजर रहे हैं। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही हैं. बिजली संयंत्रों में कम उत्पादन के बीच राज्य भारी मांगों को पूरा करने के लिए जूझ रहा हैं.

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक लोगों को दो घंटे से लेकर आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है और वही सबसे ज्यादा बिजली कटौती से कारखाने प्रभावित हैं.

देश में मार्च से ही शुरू हो चुकी गर्मी अप्रैल में भी अत्यधिक जारी है. यही वजह है कि बिजली की मांग अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. देश में बिजली की कुल कमी तकरीबन 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है.

आपको बता दें, कि यह आंकड़ा मार्च में कुल बिजली की कमी से अधिक है. बिजली संकट का मुख्य वजह देश में कोयले की कमी है. देश में कोयले से लगभग 70 प्रतिशत तक बिजली का उत्पादन किया जाता है और कोयले कि भारी मात्रा में हुए कमी के कारण आज ऐसी स्थिति बनती जा रही है।

वहीं दूसरी ओर सरकार यह दावा कर रही है, कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है,जबकि बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार नौ वर्षों में अबतक सबसे कम हैं तथा एक वजह यह भी है,कि यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के साथ कोयले के आयात में गिरावट आई है।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा कि देशभर के ताप संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं, जो देश में भारी बिजली संकट का संकेत है.चलिए जानते हैं किस राज्य में क्या है स्थिति।

आंध्र प्रदेश के मांग के मुकाबले लगभग पांच करोड़ यूनिट बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब के होशियारपुर में अनियमित बिजली आपूर्ति के विरोध में किसानों ने वाहनों की आवा जाही तक रोक दी है।

वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी यह स्वीकार किया कि राज्य मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है और बाजार से बिजली खरीदने के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया गया है. ओडिशा सरकार ने दावा किया कि अप्रैल के अंत तक राज्य में बिजली संकट खत्म हो जाएगा।

अब बात बिहार और उत्तराखंड कि करते हैं, जहां ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में लगातार बिजली कि कटौती कि जा रही है. वहीं राजस्थान में बिजली की मांग में लगभग 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसके कारण प्रतिदिन ही छः से सात घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है।

हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला का यह कहना है कि अगले कुछ दिनों में उपभोक्ताओं को जल्द ही बिजली संकट से मुक्ति मिलेगी। दूसरी ओर मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार के अधिकारियों ने दावा किया कि राज्य में कोई निर्धारित लोड शेडिंग नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी ऐसा ही दावा किया है. तमिलनाडु में राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय ग्रिड से 750 मेगावॉट की कमी के कारण राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती हुई.

कोयले की कमी के चलते मेट्रो ट्रेन, अस्पतालों में भी बिजली आपूर्ति बाधित है,कोयले की कमी को लेकर गहराते संकट के बीच, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो ट्रेन और अस्पतालों सहित महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति में संभावित बाधा आने को लेकर गुरुवार को चेतावनी दी.

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