देश में समान नागरिक संहिता कानून पर मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला..

आपको बता दें कि, समान नागरिक संहिता लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक एजेंडे में है और इतना ही नहीं यूसीसी पार्टी के 2019 के चुनावी घोषणापत्र का भी हिस्सा था और बीजेपी के नेता समय-समय पर यूसीसी मामले को उठाते रहे हैं.

आपको बता दें देश में इन दिनों समान नागरिक संहिता यानि की यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस जारी है, इस बीच केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित रिट याचिकाओं का हवाला देते हुए लोकसभा में कहा कि सरकार की अब तक देश में इसे लागू करने की कोई योजना नहीं दिख रही है.

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आगे मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में यह प्रावधान है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा, इसके अलावा उन्होंने कहा, वसीयतनामा, उत्तराधिकार, वसीयत, संयुक्त परिवार, विभाजन, विवाह और तलाक जैसे व्यक्तिगत कानून संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची- III की प्रविष्टि 5 से संबंधित हैं, राज्यों को भी उन पर कानून बनाने का अधिकार है.

आपको बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लंबे समय से भाजपा के राजनीतिक एजेंडे में है और भाजपा नेता समय-समय पर यूसीसी मामले को उठाते रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तो यूसीसी को समय की मांग कहते हैं, इस मामले पर भाजपा शासित उत्तराखंड पहले ही आगे बढ़ चुका है.

पहाड़ी राज्य में यूसीसी को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अन्य राज्यों से यूसीसी पर अपने राज्य द्वारा अपनाए जा रहे मॉडल का पालन करने की अपील की थी. वही कानून मंत्रालय द्वारा किए गए नवीनतम अवलोकन के साथ अन्य राज्यों को भी राज्य स्तर पर यूसीसी कानून को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.

क्या है समान नागरिक संहिता, समझिये-

भारतीय संविधान के भाग -4 राज्य के नीति निर्देशक निदेशक तत्व के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत इसका वर्णन है,अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्रदान करने का प्रयास करेगा.

समान नागरिक संहिता से देश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, विवाह की उम्र, तलाक, पोषण भत्ता, उत्तराधिकार, सह-अभिभावकत्व, बच्चों की कस्टडी, विरासत, परिवारिक संपत्ति का बंटवारा, वसीयत, चैरिटी-दान आदि पर एक समान कानून हो जाएगा चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय या मत से हों.

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