खत्म हो जाएगा चुनाव के पहले दल बदलने का रिवाज, चुनाव आयोग कर ले यह काम…

हमारे देश की राजनीति में आया राम गया राम की कहानी बहुत पुरानी है. कभी भी चुनाव होते हैं तो दल बदलने की होड़ लग जाती है. सब अपने लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश में जुट जाते हैं. जिस दल का पलड़ा भारी रहता है, उधर ये मौसम वैज्ञानिक पलट जाते हैं. ऐसे में नेता का काम तो बन जाता है लेकिन कार्यकर्ता सड़क छाप बन जाता है. दरी बिछाने और दीवार पर पोस्टर चिपकाने में उसकी जिंदगी निकल जाती है.

कुछ होशियार लोग ऐसी परिस्थिति देखते ही राजनीति से तौबा कर लेते हैं लेकिन बहुतों को राजनीति करने की ऐसी भयंकर बीमारी लगी होती है कि वो नेताओं के पीछे घूमने, जिंदाबाद मुर्दाबाद करने को ही राजनीति समझने लगते हैं. ऐसे कार्यकर्ताओं को बुढ़ापे में एहसास होने लगता है कि किसके चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद कर दी. उपर से बेटे बहु ताने अलग मारते हैं.

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास को विधानसभा चुनाव हरवाने वाले समाजवादी नेता सरयू राय ने चुनाव आयोग को एक बड़ी सलाह दी है. सरयू राय ने कहा कि ऐसा नियम बनाया जाना चाहिए कि सभी राजनीतिक दल चुनाव आयोग को अपने सक्रिय कार्यकर्ताओं की लिस्ट सौंपेंगे और इन्हीं कार्यकर्ताओं को ही चुनाव में टिकट दिया जाए. चुनाव आयोग नियम बनाए कि जो भी नेता कम से कम दो साल उस राजनीतिक दल में रहेगा, उसे ही टिकट दिया जाएगा.

अगर सरयू राय की इस सलाह पर अमल किया गया तो चुनाव के वक्त दल बदलने की होड़ और भगदड़ दोनों पर विराम लग जाएगा. देखते हैं, सरयू राय की इस मांग पर चुनाव आयोग क्या निर्णय लेता है.

यह भी पढ़ें : आरपीएन के दल बदलने के बाद BJP के ब्राह्मण नेता कर सकते हैं बगावत… पढ़िए रिपोर्ट

Leave a Reply