ये कौन सी राजनीति कर रहें हैं तेजस्वी यादव और राहुल गांधी

उपचुनाव इन दिनों देश के कई हिस्सों में हो रहे हैं. बिहार में भी दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. कल तक हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते, मगर जी नहीं सकते तुम्हारे सिवा के गीत गुनगुनाने वाले आरजेडी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे के सामने हाथों में तलवार लिए दोनों ही सीटों पर खड़े हो गए हैं.

आरजेडी ने यह कहकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की कि ये कुछ और नहीं बस दोस्ताना संघर्ष है लेकिन कांग्रेस ने दोस्ताना संघर्ष में दुश्मनी का रंग घोल दिया. स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी. अब आप कहेंगे कि स्टार प्रचारकों की सूची जारी करने में क्या हर्ज है, ये तो हर पार्टी का अधिकार और कर्तव्य दोनों ही है.

मगर कांग्रेस की कलाबाजी तो देखिए, जिस कन्हैया कुमार से तेजस्वी यादव भयभीत नजर आ रहे हैं, उन्हीं कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दे दी है. अब इधर से तेजस्वी भाषण देंगे तो उधर से कन्हैया कुमार पलटवार करेंगे. इस वार पलटवार के खेल में महागठबंधन का भविष्य क्या होगा, ये आपके सामने होगा.

दिलचस्प बात तो यह है कि सोशल मीडिया के रणबांकुरे पहले से ही कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के बीच तुलनात्मक अध्ययन शुरु कर चुके हैं. आरजेडी के समर्थक बता रहे हैं कि कन्हैया कुमार राजनीति के कंपाउंडर हैं और तेजस्वी यादव राजनीति के डॉक्टर हैं.

इधर से डॉक्टरी और कंपाउंडरी की कहानी शुरु हुई तो कांग्रेसी कलाकारों ने लिखना शुरु कर दिया कि नॉन मैट्रिक डॉक्टर कैसे हो सकता है ! कन्हैया कुमार तो असली डॉक्टर हैं, पीएचडी वाले डॉक्टर… वो भी जेएनयू से… अब डॉक्टर तो आरजेडी के पास भी है.. डॉक्टर मीसा भारती… एमबीबीएस वाली डॉक्टर… अब असली डॉक्टर को आपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट से ही आउट कर दिया है तो हमारा क्या कसूर….

आरजेडी के कन्हैया यानी तेजप्रताप यादव इसी बात पर तो भड़क गए हैं. यानी कि अब आरजेडी अपने घर के भीतर अपने कन्हैया तेजप्रताप से संघर्ष कर रही है तो सामने महागठबंधन के कांग्रेसी कन्हैया कुमार से भी दो दो हाथ करने की संभावना नजर आने लगी है.

हालांकि आरजेडी तो पहले ही कह चुकी है. कौन कन्हैया, कैसा कन्हैया, कहां का कन्हैया… हम तो किसी कन्हैया को नहीं जानते….

वैसे कन्हैया कुमार के पास तेजस्वी यादव जैसा कोई माय समीकरण नहीं है और नहीं किसी जाति का जनसमर्थन उन्हें प्राप्त है लेकिन उनका भाषण घनघोर मोदी विरोधी होता है. कन्हैया कुमार की भाषण शैली में आकर्षण है, वही आकर्षण जो कभी लालू प्रसाद यादव के भाषणों में हुआ करता था. उसी आकर्षक भाषण शैली के कारण लालू ने बिहार में कांग्रेस को वैसी पटकनी दी जिसके बाद आज तक कांग्रेस की वापसी नहीं हो पाई.

भाषण के दम पर ही नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को धोबिया पाट स्टाइल में पटक दिया और अब नये भाषणबाज कन्हैया आएं हैं, जिनसे आरजेडी और तेजस्वी को निपटना है. कैसे निपटते हैं और कौन निपट जाएगा… इस खेल में….

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