लालू के दोनों बेटे क्यों नाराज रहते हैं कन्हैया से, जानिए वजह…

तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं. कन्हैया कुमार एक आंगनबाड़ी सेविका का बेटा है. तेजस्वी और तेजप्रताप स्थापित नेता हैं. दोनों भाई दूसरी बार विधायक हैं. तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं और पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं. तेजप्रताप भी पूर्व मंत्री हैं. कन्हैया कुमार भारी भरकम वोटों से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. लालू के बेटों और एक आंगनबाड़ी सेविका के बेटे कन्हैया कुमार की कोई तुलना नहीं है फिर भी लालू प्रसाद यादव का परिवार कन्हैया कुमार को देखना भी पसंद नहीं करता.

तेजस्वी और तेजप्रताप के पिता लालू प्रसाद यादव आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रेलमंत्री हैं. कन्हैया कुमार के पिता मणिकांत सिंह को 2013 से ही लकवा मार चुका है. वह बेड पर ही रहते हैं. कन्हैया कुमार की मां मीना देवी आंगनबाड़ी में काम करती हैं. तेजस्वी और तेजप्रताप की मां राज्य की पूर्व सीएम हैं और वर्तमान में विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं. जाहिर है कि कन्हैया कुमार की तेजस्वी तेजप्रताप से कोई तुलना ही नहीं है.

तेजस्वी और तेजप्रताप की बड़ी बहन डॉ मीसा भारती राज्यसभा की सांसद हैं जबकि कन्हैया कुमार के बड़े भाई असम की एक निजी कंपनी में छोटी सी नौकरी करते हैं. इतना बड़ा फर्क है, इसके बावजूद कन्हैया कुमार से क्यों परेशान रहता है लालू प्रसाद यादव का परिवार…. हम इसकी वजह बताते हैं.

दरअसल वर्तमान समय में बिहार में कांग्रेस के पास कोई भी ऐसा नेता नहीं था जिसका भाषण सुनने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा हो सके. कन्हैया कुमार दमदार एवं प्रभावशाली वक्ता है. अब कांग्रेस को कन्हैया कुमार के रुप में ऐसा नेता मिल गया है जो कहीं भी भीड़ को इकट्ठा कर सकता है. अब भला आरजेडी क्यों चाहेगी कि कांग्रेस बिहार में मजबूत हो !

अभी तारापुर में कन्हैया कुमार ने चुनाव अभियान शुरु की किया तो फिजां बदलने लगी. कांग्रेस उम्मीदवार की सभाओं में भीड़ उमड़ रही है. इसमें युवाओं की संख्या ज्यादा है. यह जेडीयू से ज्यादा आरजेडी के लिए परेशानी भरा है. बिहार में कांग्रेस के उम्मीदवार अब तक प्रचार के लिए लालू या तेजस्वी पर निर्भर रहते थें.

जिस दौर में सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर कन्हैया कुमार पूरे बिहार की यात्रा कर रहे थें उस दौरान तेजस्वी यादव ने इससे अपनी दूरी बनाई. तेजस्वी को भय था कि सीएए और एनआरसी के विरोध के चक्कर में बहुसंख्यक हिंदू मतदाता दूर न हो जाएं लेकिन कन्हैया कुमार ने इस बात की परवाह किए बगैर पूरे बिहार में सभाएं की और केंद्र की मोदी सरकार को जमकर घेरा.

जिस दौर में सभी नेता मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर चुप रहना ही उचित समझते हैं, उस दौर में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और एमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी के बाद कन्हैया कुमार ही ऐसे नेता हैं जो खुलकर मुसलमानों के मसले पर आवाज बुलंद करते हैं. कन्हैया कुमार बिना वोटों की फिक्र किए अपनी राजनीति करते हैं. यह संभवतः लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों के लिए चुनौती है.

अब बात सबसे बड़ी शैक्षणिक योग्यता की. लालू प्रसाद यादव के बेटों की शिक्षा को लेकर अक्सर विपक्ष हमलावर रहता है. कोई नौंवी फेल, आठवीं पास तो कोई बारहवीं फेल या पास बताता रहता है. जबकि कन्हैया कुमार ने देश की अति प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की है. जिस विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना कोई साधारण बात नहीं है, वहां से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले एक छात्र से बड़े नेताओं का घबराना वाजिब है.

 

 

सरदार सिमरनजीत सिंह

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