छठ महापर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए यह समय है,सबसे शुभ।

मान्यताओं अनुसार छठ महापर्व में सूर्योपासना करने से छठी मैया प्रसन्न होती है और आपके परिवार में सुख शांति सदैव बनी रहती है, तथा धन- धान्य की कभी कमी नहीं होती है।

हम सभी जानते हैं, छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से शुरू होती हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात संपन्न होती है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है, जो वर्ष में दो बार आता है, जिसे हम कार्तिक मास का छठ और चैती छठ से जानते है।

 

अधिकतर लोग कार्तिक मास में मनाई जाने वाली छठ पूजा को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन वही पूर्वांचल के लोगों के लिए कार्तिक मास छठ और चैती छठ दोनों में ही एक समान आस्था रहता है।

इस वर्ष छठ पूजा का पहला अर्घ्य 7 अप्रैल को है और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सबसे शुभ समय 5:30 पर है। ऐसी मान्यता है,कि छठ पूजा का व्रत करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है,तथा महिलाएं इस व्रत को अपने संतान की लंबी उम्र के लिए भी करती है।

 

हालांकि छठ पूजा का व्रत केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके साथ-साथ पुरुष भी करते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना काफी शुभ माना गया है। डूबते सूर्य को अर्घ्य दिए बिना छठ महापर्व पूरा नहीं होता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य हम अक्सर ही देते हैं, परंतु डूबते सूर्य को अर्घ्य केवल छठ व्रत में ही देते हैं। छठ महापर्व के तीसरे दिन शाम में भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है सूर्यास्त के समय और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता और इसके साथ ही आस्था का महापर्व छठ संपन्न होता है।



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