बसंत पंचमी के दिन क्यों करते हैं मां सरस्वती की पूजा।
बसंत पंचमी का त्योहार हिंदुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। प्रत्येक वर्ष भारत में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इसे बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा, ऋषि पंचमी और श्री पंचमी से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ भगवान विष्णु तथा कामदेव की भी पूजा की जाती है। खास करके हिंदुओं द्वारा इस त्यौहार को काफी हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का काफी महत्व है। ऐसा कहा जाता है,कि बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी द्वारा मां सरस्वती के अवतार का जन्म हुआ था। ब्रह्माजी द्वारा चारों दिशाओं में झिड़के हुए जल से ही हाथ में वीणा लिए शक्ति की उत्पत्ति हुई थी, जो मां सरस्वती कहलाई।
यह मान्यता है, कि मां सरस्वती के आगमन से ही प्रकृति का श्रृंगार हुआ और तब से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा सर्वप्रथम की जाती है। मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या,बुद्धि,कला,साहित्य एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है।
खासकर विद्यार्थियों को बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा से विद्या और बुद्धि दोनों की प्राप्ति होती है। मां सरस्वती के एक हाथ में वीणा,दूसरे हाथ में वेद की पुस्तक, तीसरे हाथ में कमंडल तथा चौथे हाथ में रुद्राक्ष की माला होती है।
बसंत पंचमी का त्योहार मनाने का एक खास वजह यह भी है,कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है तथा चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है। खेतों में लगे हुए सरसों के फूलों की सुंदरता से पूरा वातावरण सुशोभित होता है। बसंत ऋतु के आगमन से ही पृथ्वी का कण कण खिल उठता है।
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