आखिर क्यों सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है..

हर वर्ष सावन आते ही इसे पूरे देश में एक त्योहार की तरह मनाते हैं लोग खास करके स्त्रियां और इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं. बता दे कि भगवान शंकर की पूजा करने का सबसे श्रेष्ठ महीना होता है सावन का परंतु आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो सावन में भगवान शंकर की पूजा अर्चना तो करते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि आखिर सावन महीने को इतना महत्व क्यों दिया जाता है.

क्या आप जानते हो कि आखिर क्यों सावन का महीना भगवान शिव को ही समर्पित है, लोग सावन के महीने में केवल शंकर भगवान की पूजा क्यों करते हैं अन्य देवताओं को इतना महत्व क्यों नहीं दिया जाता है, तो चलिए आज जानते हैं तथा इससे जुड़ी पुरानी मान्यताओं के बारे में भी जानेंगे.

श्रावण मास हिंदी कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता हैं और इस ऋतु में वर्षा प्रारंभ होता हैं. शिव जिन्हें श्रावण का देवता कहा जाता हैं, उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं. पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन के प्रत्येक सोमवार को पूजा अर्चना किया जाता है.

मान्यतानुसार यह कहा जाता है कि सावन भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया. उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की.

माता पार्वती से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं. यही कारण है कि इस महीने में कुमारी कन्याएं भी प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर पर जलाभिषेक कर अच्छे वर हेतु शिव जी से प्रार्थना करती हैं.

धार्मिक कथा अनुसार.

धार्मिक मान्यतानुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमे निकले हलाहल विष को भगवान शंकर ने स्वयं ग्रहण किया जिस कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने सृष्टि को इस विष से बचाया. इसके बाद सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं.

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