Intresting Fact : हनीमून की परंपरा कहां से शुरु हुई, यह भारत में कैसे आया ?
नए मैरिड कपल्स के लिए हनीमून शादी के बाद का वो सबसे खूबसूरत मौका होता है जब वो अपना पूरा पूरा समय अपने पार्टनर को देते हैं। इस दौरान दोनों ही एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं। ये ही वो समय होता है जब दोनों के बीच रुहानी रिश्ता कायम हो जाता है।
आपके मन में अक्सर ये सवाल आता होगा कि हनीमून का यह ट्रेडिशन कब से, क्यों और कैसे शुरु हुआ और यह भारत में कैसे आया ? ये तो सबको पता होगा कि हनीमून की परंपरा विदेशों से भारत में आया और अब ये हमारे यहां ट्रेडिशन का हिस्सा बन चुका है।
आजकल के Newly married Couple का हनीमून पर जाना एक रस्म की तरह हो गया है। इसलिये शादी से पहले ही हनीमून की पूरी प्लानिंग कर ली जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई, चलिये आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा 19वीं सदी में ब्रिटेन से शुरू हुई थी।हनीफंड जो एक ऑनलाइन वेडिंग रजिस्ट्री की साइट है उसकी सीईओ सारा मारागुलिस के मुताबिक साल 1800 के अंत तक इस परंपरा का कहीं कोई नामों-निशां नहीं था. हालांकि वर्ल्डवाइड वर्ड्स वेबसाइट के अनुसार हनीमून शब्द का पहली बार इस्तेमाल 16वीं सदी में रिचर्ड ह्यूलोट ने किया था।
आज के समय में इसका मतलब है कि शादी के नए कपल को मिलने वाली छुट्टी। इसमें हनी का मतलब स्वीटनेस यानी मधुरता से है और मून का मलतब बदलते समय, एक पखवाड़े और प्रेम के प्रतीक से भी है।
कुछ लोगों की मानें तो यह परंपरा 4000 साल पुराने बेबीलोन से आई है।उस समय यहां पर नए कपल्स को शादी के तुरंत बाद एक स्पेशल शरबत पीने के लिए दिया जाता था जो शहद से तैयार किया जाता था।
सबसे दिलचस्प बात है कि यूरोपियन सोसायटी ने इसे भारत से सीखा।18वीं और 19वीं सदी में अंग्रेजों ने भारत में देखा कि विवाह के बाद लड़का और लड़की अपने रिश्तेदारों के घर जाकर मिलते हैं। इस दौरान उन दोनों को अपने रिलेटिव्स से इंट्रोड्यूस कराया जाता था। हालांकि ट्रैवलिंग उस परंपरा में शामिल नहीं थी। ट्रैवलिंग का कॉन्सेप्ट इसमें जोड़कर यूरोपियन देशों ने हनीमून को नया रूप दे दिया। इस तरह से आज के समय में लोग शादी के बाद अपने पार्टनर के साथ घूमने निकल जाते हैं।
कुछ लोगों की मानें तो यह परंपरा 4000 साल पुराने बेबीलोन से आई है।उस समय यहां पर नए कपल्स को शादी के तुरंत बाद एक स्पेशल शरबत पीने के लिए दिया जाता था जो शहद से तैयार किया जाता था। सबसे दिलचस्प बात है कि यूरोपियन सोसायटी ने इसे भारत से सीखा।
18वीं और 19वीं सदी में अंग्रेजों ने भारत में देखा कि विवाह के बाद लड़का और लड़की अपने रिश्तेदारों के घर जाकर मिलते हैं।इस दौरान उन दोनों को अपने रिलेटिव्स से इंट्रोड्यूस कराया जाता था। हालांकि ट्रैवलिंग उस परंपरा में शामिल नहीं थी। ट्रैवलिंग का कॉन्सेप्ट इसमें जोड़कर यूरोपियन देशों ने हनीमून को नया रूप दे दिया। इस तरह से आज के समय में लोग शादी के बाद अपने पार्टनर के साथ घूमने निकल जाते हैं।
Sardar Simranjeet Singh