प्रधानमंत्री ने मांगी देशवासियों से क्षमा,कहा हम किसानों को समझाने में असफल रहे।
बता दे कि 17 सितंबर 2020 को कृषि कानून लागू हुआ था। जिसके बाद से किसानों ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया था। और अलग-अलग शहरों में किसानों ने आंदोलन किया तथा विपक्षियों ने भी मोदी सरकार पर कई निशाने साधे और किसानों ने भी कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार का जमकर विरोध किया था।
बिगड़ रहे हालतों को संभालने के लिए प्रधानमंत्री ने आज राष्ट्र को संबोधन किया।
पीएम ने कहा आज देव दीपावली का पावन पर्व है तथा आज गुरु नानक जी का भी पवित्र प्रकाश पर्व है और मैं विश्वभर में सभी लोगों को तथा सभी देशवासियों को इस पावन पर्व का हार्दिक बधाई देता हूं। देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए खास करके छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित का सोचकर देश के हित में, गांव तथा गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए पूरी निष्ठा से तथा किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से नेक नियत से यह कानून लेकर आई थी।
लेकिन इतनी अच्छी बात को पूर्ण रूप से तथा शुद्ध किसानों के हित की बात को हम अपने लाखों कोशिशों और प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझाने में असमर्थ रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि भले ही किसानों का वर्ग स्वयं ही इस कानून का विरोध कर रहा था। लेकिन फिर भी यह हमारे लिए महत्वपूर्ण था इसलिए कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, तथा प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानून के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पूरी विनम्रता से तथा खुले मन से विरोध कर रहे किसानों को समझाते रहे। अनेक माध्यमों से व्यक्तिगत और सामूहिक बातचीत भी लगातार करते रहे। हमने किसानों की बातों का तथा उनके तर्क को भी समझने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ा। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें एतराज था।सरकार उसे बदलने के लिए भी तैयार हो गई थी। 2 साल तक हमने इस कानून को सस्पेंड करने के लिए भी प्रस्ताव रखा। हालांकि फिर भी किसान भाइयों ने कृषि कानून को समझने में असमर्थ रहे।
इस दौरान यह विषय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पास भी चला गया। अंत में उन्होंने कहा कि यह सारी बातें देश के सामने हैं इसलिए मैं अधिक विस्तार में नहीं जाऊंगा। तथा इसी के साथ उन्होंने कहा, कि आज मैं देशवासियों से क्षमा मांगता हूं,सच्चे मन से और पवित्र हृदय से और यह कहना चाहता हूं, कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी, जिसके कारण दीये की प्रकाश की तरह सत्य को हम कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। कृषि कानून का मकसद छोटे किसानों को फायदा पहुंचाना था।
आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व है।आज मैं पूरे देश को यह बताना चाहता हूं, कि हमने 3 कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय ले लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। तथा इसी के साथ में सभी आंदोलनकारी किसान भाइयों और साथियों से आग्रह कर रहा हूं, कि आज गुरु पर्व का पवित्र दिन है इस मौके पर अब आप अपने अपने घर लौट जाएं, अपने खेतों में वापस जाएं तथा अपने परिवार के बीच लौटे और एक नई शुरुआत करें।
कौन- कौन से थे तीन कृषि कानून:-
पहला कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम 2020
इस कानून का मुख्य उद्देश्य था। देश के किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प मुहैया कराना तथा देश के किसानों को अच्छी कीमत पर अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता।
दूसरा कृषि कानून था, कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
इस कानून का मकसद था, देशभर के किसान बुवाई से पहले ही तय मानकों और तय कीमतों के हिसाब से अपनी फसल को बेज सकते थे।
तीसरा कानून था,आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020
फसलों के भंडारण और फिर उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले एसेंशियल कमोडिटी एक्ट 1955 बनाया था। जिसके तहत व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज का भंडारण कर सकते थे। वे तय सीमा से बढ़कर किसी भी फसल को स्टॉक में नहीं रख सकते थे। परंतु नए कृषि कानून का मुख्य मकसद था, कि आवश्यक वस्तुओं में संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज,दाल, तिलहन, खाद्य, तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा अकाल या ऐसे ही किसी भी हालत के दौरान इन वस्तुओं के भंडारण पर कोई सीमा नहीं लगेगी।
यह तीनों कृषि कानून आने के बाद देश भर में किसानों ने किया था इसका विरोध।