बिहार नगर निकाय चुनाव पर कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला……

बिहार नगर निकाय चुनाव पर कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला. बिहार नगर निकाय चुनाव का मामला अब सुलझ चुका है. हाईकोर्ट में बिहार सरकार की ओर से दायर की गयी पुनर्विचार याचिका को वापस ले लिया गया. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने की शर्त पर बिहार में नगर निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे दी है…

नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट के आदेश को मानने के वादे के साथ हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन के आधार पर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है.

बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर तमाम अड़चनें दूर हो गयी है. सरकार ने ये तय कर लिया कि आरक्षित सीटों को सामान्य मानकर चुनाव नहीं कराए जाएंगे बल्कि अतिपिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वे के बाद आरक्षण के लिए अनुसंशा की जाएगी. पटना हाईकोर्ट में सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया…

जिसमें कहा गया कि आयोग के द्वारा अतिपिछड़ों की स्थिति का आकलन करने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. बिहार सरकार ने 2005 में बने बिहार ईबीसी आयोग को बतौर डेडिकेटेड कमीशन पुनर्जीवित किया. सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि आयोग में रिक्त पदों को भरा गया है…

वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. नवीन चंद्र आर्या को अति पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. पांच सदस्यीय यह आयोग सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में अपनी रिपोर्ट जल्द ही राज्य सरकार को सौंपेगा. दिसंबर 2022 से पहले निकाय चुनाव कराने का दावा किया गया है. दिसंबर के पहले होगा नगरपालिका चुनाव…..

नगर निकायों का कार्यकाल इस साल जून में पूरा हुआ था. दिसंबर तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर लेनी होगी. अति पिछड़ा वर्ग आयोग सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन के अनुसार 10 से 15 दिनों में सरकार को रिपोर्ट देगा. रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण की सूची तैयार होगी, जिस पर राज्य निर्वाचन आयोग की मुहर लगेगी, इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की नयी तिथि जारी करेगा…

सरकार ने रातोरात बनाया अति पिछड़ा आय़ोग..
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर रखा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये. यानि सरकार ये पता लगाये कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला माने बगैर चुनाव कराने में लगी थी, जिस पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया था…

अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने की कवायद शुरू की है. नीतीश सरकार ने रातो रात बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक यही आयोग सूबे में उन जातियों का पता लगायेगी जिन्हें पर्याप्त राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली है. राज्य सरकार इसी आयोग का हवाला देकर हाईकोर्ट में गयी है. उसने हाईकोर्ट को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट कराने की प्रक्रिया में लग गयी है…

हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपना पक्ष रखा. आयोग ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों का पालन कर बिहार में दिसंबर से पहले चुनाव करा सकती है. कोर्ट में राज्य सरकार ने ये भरोसा दिलाया है कि अति पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें तय कर बताएंगे….

राज्य सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था. शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने का भरोसा दिलाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर सरकार को प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी….

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